अँधेरे में एक आवाज है अँधेरे को रह-रह कर बेधती
अँधेरे में तुम हो अँधेरे से लड़ती
तुम्हारे होने को झकझोरता हुआ बार-बार मैं हूँ अँधेरे में
हम सभी हैं अँधेरे में और अँधेरे में अँधेरा है एक आवाज के साथ
हिंदी समय में विमलेश त्रिपाठी की रचनाएँ